Tuesday, March 22, 2011

मेरा गौरव-मेरा बिहार

आज बिहार की स्थापना को निन्यानवे वर्ष हुए हैं। ये निन्यानवे वर्ष जहाँ बिहार के गौरवशाली अतीत का प्रतीक हैं, वहीं ये राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर बिहार के संघर्ष के भी सूचक हैं। आज बिहार की छवि अपने अस्तित्व की भीख माँगते राज्य के रूप में नहीं है, बिहार अब अपने पैरों पर खड़ा होकर अपने अधिकार की बात करता है। ये न सिर्फ़ हम बिहारियों का परिश्रम है, बल्कि कुशल नेतृत्व का भी परिणाम है। पर हमारा सफर यहाँ थमने वाला नहीं है, हमें तो सफलता का आसमान छूना है। सलाम है बिहारियों के बुलंद हौसलों और बिहार के सौंवे वर्ष में आगमन को-
ललाट के जिसके श्रृंगार कर रहा हरित पटल,
पाँव है पखारता सदा पवित्र गंग जल,
दिव्य देवभूमि पूजनीय मातु प्रियतरा,
यही है बिहार की पतित पावनी धरा,
स्वर्णिम इतिहास कर रहा सहर्ष गान है,
आदिकाल से यही भारत की शान है,
चंद्रगुप्त और अशोक पूत थे बिहार के,
यहीं पड़े पाँव अजातशत्रु, बिम्बिसार के,
बुद्धदेव का हुआ इसी धरा पर अवतरण,
यहीं बौद्ध-जैन-सिख धर्मों का सृजन,
राजगीर, बोधगया में बसती बिहार की धड़कन,
नालंदा के खंडहर कर रहे अतीत का स्तवन,
चमके, बन उठे ये सकल विश्व का अलंकार,
जग में जय हो मेरा गौरव-मेरा बिहार॥ 

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