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| Art by: Sristi |
उन्मत्त हुआ मन,
डोल गया तन-बदन,
बीत गया माघ,
हुआ वसन्त का आगमन।
नशे में उतावली,
हुए जाती प्रकृति,
आनन्दित कर देती,
फूलों की स्मिति।
झूम रही डाल-डाल,
वृक्षों में भरा यौवन,
बीत गया माघ,
हुआ वसन्त का आगमन।
गूँज रही चहुँओर,
स्वर लहरी फाग की,
गीत गा रही कोयल,
स्वागत के राग की।
पेड़ों की शाखा पर
झूले हैं लटके,
मस्ती में चूर हो,
वायु दे झटके।
पुष्पों की सुरभि से,
महक उठा उपवन,
बीत गया माघ,
हुआ वसन्त का आगमन॥

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