Saturday, June 01, 2013

गुगली

राजनीति है खेल क्रिकेट का,
देश क्रिकेट मैदान हमारा,
पाँच दिनों का टेस्ट मैच है,
पाँच वर्ष घमासान हमारा.
     टौस जीतकर जीतकर बैटिंग करने,
     उतरी है सरकार देखो,
     अपोजिशन पोजीशन में है,
     गेंद हाथ तैयार देखो.
गेंदबाज के हाथों फेंकी गई,
बैट से टकराई वो,
इधर उधर ठोकर खा, बौलर
के हाथों में फिर आई वो.
     फास्ट, स्पिन, गुगली, यौर्कर,
     हर ट्रिक आजमा ली गई उसीपर,
     इधर उछलकर, उधर उछलकर,
     गेंद बना दी गई फटीचर.
कभी धम्म से लगी विकेट परपर,
गिरी, गेंद चकराए गई,
कभी गिरी इतना, फील्डर के
पैरों से टकराए गई.
     कभी बाउंड्री पार पहुँचकर
गिरी, उसे मूर्छा आई,
     इतनी खेली गई गेंद,
     यों गिरी कि फिर उठ न पाई.
हार जीत के खेल खेल में,
भिड़ने को तैयार खिलाड़ी,
खींच तान में, कैच थ्रो में,
जनता गेंद बनी बेचारी.
     सत्ता से छली गई,
     अपोजिशन का वह हथियार बनी,
     हिस्सा बन न सकी तंत्र का,
     पाँच साल बेकार बनी.
लोकतंत्र के मंदिर में, बस
इतना ही स्थान हमारा,
राजनीति है खेल क्रिकेट का,
देश क्रिकेट मैदान हमारा.
     जेंटलमेन का खेल न रहा,
     क्रिकेट आज व्यापार बना है,
     अंधाधुंध रूपये बरसाकर,
     घपलों का बाजार बना है.
गेंद पटक ले कितना भी सिर,
लेकिन मैच पूर्व निश्चित है,
आन बचे या नैया डूबे,
इतना यहाँ कौन चिंतित है?
     बैट्समैन ने कैच उछाला,
     मगर फील्डर सोता है,
     इधर डुबाकर अपना पैसा,
     दर्शक बैठा रोता है.
सत्ता की इस लम्बी पिच पर,
नेतागण हैं मँझे खिलाड़ी,
ऐसा खेला खेल क्रिकेट का,
कमा कमाकर छप्पर फाड़ी.
     मैच फिक्स है, सभी बिके हैं
     चाहे देश गर्त में जाए,
     फट जाए पौकेट, पर पैसा,
     अपने ही पौकेट में आए.
जनता तो टैक्स देती है,
कोष पर्सनल भरते हैं,
जनता भूखे मरे, करोड़ों के
घोटाले करते हैं.
     सोने की चिड़िया दोबारा,
     बनता देश महान हमारा,
     राजनीति है खेल क्रिकेट का,
देश क्रिकेट मैदान हमारा.
सत्ता हो या खेल,
सभी सिस्टम अंदर से सड़े हुए हैं,
नोच घसोंट रहे हैं वो,
हम फटे बौल से पड़े हुए हैं.
     मिलते ही बल्ला सब चाहें,
     सदा क्रीज पर टिक जाएँ,
     पैसों कि इतनी भूख,
कि भारत बिक जाए तो बिक जाए.
भारत माँ इन संतानों को,
नम आँखों से ताक रही हैं,
हद की सारी सीमाएँ,
खुद ही शर्मा कर भाग रही हैं.
     दुख होता है देख देखकर,
     जन गण मन बन गए बिखारी,
     भारत भाग्य उदय हो फिर से,
     ऐसा कोई नहीं खिलाड़ी.
सबने अपना ही हित साधा,
सबने अपनी जड़ें जमाईं,
उड़े गेंद के परखच्चे, पर
सबने ऊँची शौट लगाई.
     हाथों का बन गया खिलौन,
     प्यारा हिंदुस्तान हमारा,
     राजनीति है खेल क्रिकेट का,
     देश क्रिकेट मैदान हमारा….