Thursday, July 28, 2011

आई बरखा झूम के



Art by: Sristi
तपती गर्मी के बाद वर्षा की एक छोटी सी बूँद हमारे मनस पटल पर हरियाली और ताजगी का एहसास ला देती है। प्यासी प्रकृति बरसात के आगमन पर झूम उठती है। झुलसा देने वाली गर्मी में हम सबको तुम्हारा ही इंतजार था, बरखा रानी। तुम आई हो, तुम्हारा स्वागत है-




स्वागत सावन की बरसती फ़ुहार का,
अलमस्त चालों में बहती बयार का,
मेघों ने अपनी सुन्दरता बिखेरी है,
धरा को हर ओर से हरियाली घेरी है,
नव नूतन स्वप्न हैं जाग उठे मन में,
थिरक थिरक रहे हैं मोर घनवन में,
बारिश के आने से खेती लहराती है,
स्वागत के गीत मधुकंठ गाती है,
रिमझिम बरसते ये मेघ सावन के,
भू पर टपकते हैं वृक्षों से छन छन के,
स्वागत सावन की बरसती फ़ुहार का,
स्वागत है चहुँओर गूँजते मल्हार का,
बागों में हैं सुमन फ़ूलते,
मनमौजी से विटप झूलते,
बागों में खिल उठे हैं कमल,
उन पर मँडाराता मधुकर दल,
सबके हृदय हर्ष से फूले,
झूल रहे उपवन में झूले,
वर्षा आनंद क अद्भुत वातायन है,
जब उन्मत हो उठता ये बाँवला मन है,
स्वागत सावन की बरसती फ़ुहार का,
बारिश के रंगों में नभ के श्रृंगार का ,
वर्षा की एक एक बूँद,
उत्साह संचार भर दे,
जीवन हो जाए हरा भरा,
मन को प्रफ़ुल्लित कर दे।